Tuesday, December 12, 2017

Kidney फ़ैल या पास

Kidney


देश में हर साल लाखो लोग kidney की बीमारी की वजह से जान गवां बैठते है, लेकिन इसका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि kidney की बीमारी का पता तब चलता है, जब kidney 60 से  65% तक damage हो चुकी होती है, इसलिए सावधानी ही इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका है।

यह सभी जानते है कि kidney रक्तशोधन का काम करती है। दरअसल इस प्रकिया में ये blood से विषैले तत्व और body से अनावश्यक पानी को यूरिन के माध्यम से body के बाहर निकाल देती है, इसलिए अगर kidney ठीक ढंग से काम न करें तो सेहत बिगड़ने लगती है।

क्यों होती है Kidney Fail

blood pressure kidney fail होने का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए नियमित रूप से blood, urine की जाँच करवाते रहना आवश्यक है। sugar और blood pressure के मरीजों को तो नियमित screening में रहना अति आवश्यक है।

लक्षण: हाथ-पैरो और आँखों के नीचे swelling, सांस फूलना, भूख न लगना और हाजमा ठीक न रहना, blood की कमी से body पीला पड़ना, कमजोरी, थकन, बार-बार पेशाब आना, उल्टी व् जी मिचलाना, पैरो की पिंडलियों में खिंचाव होना, body में खुजली होना आदि लक्ष्ण यह बताते है कि kidney ठीक से काम नही कर रही है। 

Kidney की बीमारी के चार चरण

पहला चरण: सामान्य क्रियेटेनिन, व्यस्क पुरुष में एक डेसीलिटर blood में 0.6-1.2 मिलीग्राम एवं महिला में 0.5-1.1 मिलीग्राम और EGFR(एस्टीमेटेड ग्लोमेरूलर फिल्टरेशन रेट) सामान्य यानी 90 या उससे ज्यादा होता है। EGFR से पता चलता है कि kidney कितना filter कर पा रही है। जाँच में urine में protein की मात्रा अधिक होती है। 

दूसरा चरण: EGFR घट कर 90-60 के बीच में होता है, लेकिन क्रियेटेनिन सामान्य ही रहता है। इस स्टेज में भी urine में protein ज्यादा निकलता है।

तीसरा चरण: EGFR 60-30 के बीच आ जाता है, वही क्रियेटेनिन बढने लगता है। इसी स्टेज में
 kidney की बीमारी के लक्ष्ण सामने आने लगता है। anemia हो सकता है, blood test यूरिया
 ज्यादा आ सकता है। body में खुजली होती है।

चौथा चरण: EGFR 30-15 के बीच होता है और क्रियेटेनिन भी बढ़कर 2-4 के बीच हो जाता है।
 यह वह स्टेज है कि जरा सी भी असावधानी मरीज को डायलिसिस या transplant की स्टेज में
 पहुंचा सकती है।

पांचवां चरण: EGFR 15 से कम हो जाता है और क्रियेटेनिन 4-5 या उससे ज्यादा हो जाता है।
 फिर मरीज के लिए डायलिसिस या transplant का ही उपाय बचता है।

क्या है इलाज

इसके इलाज को medical भाषा में रीनल रिप्लेसमेंट थेरपी(RRT) कहते है। kidney खराब होने पर
 स्थायी इलाज तो kidney transplant ही है, लेकिन जब तक transplant नही होता, इसका अस्थायी हल डायलिसिस है। हालाकिं doctor तनवीर फरीदी कहते है कि डायलिसिस भी काफी कारगर रहता है। अगर मरीज खान-पान में संयम बरते, नियमित रूटीन follow करे और समय पर करे और समय पर डायलिसिस करवाता रहे तो वह लम्बा life जी सकता है।

Trans Plant ही है स्थायी इलाज

kidney खराब होने का स्थायी इलाज transplant ही है। transplant के process के दौरान मरीज
 और donor के blood group से लेकर टिश्यु matching तक कई test करके यह तय किया जाता है कि donor मरीज के लिए सही है या नही। हालाकिं transplant के बाद donor तो कुछ ही दिनों में सामान्य life जीने लगता है, लेकिन मरीज को काफी सावधानी बरतनी पडती है।

Ultra Sound Test है फायदेमंद

1% बच्चो में kidney में swelling या गडबडी का पता गर्भावस्था के दौरान किये जाने वाले
 ultrasound test से ही चल जाता है। अगर किसी बच्चे की kidney का आकार ठीक नही है तो
 बच्चे का जन्म होते ही इसका इलाज करवाया जा सकता है।

इलाज है महंगा

kidney की बीमारी का इलाज काफी महंगा होता है, इसलिए इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय
सावधानी बरतना ही है। यह कितना खचीला है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि
 अगर किसी brain dead शख्स की kidney ली जाती है तो सरकारी hospital में इसका खर्च
तकरीबन दो लाख रूपये तक आ जाता है। अगर निजी hospital में ले गये तो यह खर्च सात से आठ लाख रूपये तक पहुंच जाता है। इस पर अगर kidney देने वाले और लेने वाले का blood group match नही करता तो यह यह खर्च बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अगर इसके अस्थायी इलाज डायलिसिस की बात करें तो एक बार के डायलिसिस पर लगभग 2000 से 3000 रूपये खर्च आता है। महीने में लगभग 8-10 बार डायलिसिस करवाना पड़ता है यानि हर महीने 20 से 30 हजार रूपये का खर्च आता है।

Kidney की बीमारी से बचने के उपाय
1- magnesium kidney की सही काम करने में मदद करता है, इसलिए ज्यादा magnesium
 वाली चीजें, जैसे कि गहरे रंग की vegetables खाएं।

2- खाने में नमक, sodium और protein की मात्रा घटा दे।

3- 35 साल के बाद साल में कम से कम एक बार blood pressure और sugar की जाँच जरुर
 कराएं।

4- nutrition से भरपूर खाना, exercise और weight पर control रखने से भी kidney की बीमारी की आशंका को काफी कम किया जा सकता है।

स्वस्थ रखे ये Food

Egg की सफेदी: इसमे एमिनो एसिड और कम phosphorus होता है, जो kidney को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

Fish: fish में omega-3 fatty acid होता है, जो kidney को हर बीमारी से बचाता है।

लहसून: इसमे anti oxidant और anti clotting तत्व पाए जाते है, जिससे heart रोग दूर होता है।
 यह खराब cholesterol को घटाता है और body की swelling को कम करता है।

बेरी: स्ट्राबेरी, रसभरी, जामुन आदि kidney के लिए बहुत अच्छे होते है, साथ ही मूत्र संक्रमण को भी रोकते है।

जैतून का तेल: इसमे एंटी इन्फ्लेमेटरी fatty acid होता है, जो oxidation को कम कर kidney को
 स्वस्थ रखने में मदद करता है।

प्याज: प्याज को kidney stone की बीमारी में प्राकृतिक रूप से साफ़ करने के लिए इस्तेमाल किया
 जाता है।

लाल अंगूर: लाल अंगूर में फ्लेविनॉइड होता है, जो कि heart और kidney की बीमारी को दूर करता है।

Life Style से जुड़े रोगों में हुई शुमार

पहले क्रोनिक नेफराइटिस kidney damage की सबसे बड़ी वजह था, लेकिन आज अनियमित दिनचर्या की वजह से होने वाली डायबीटीज इसका सबसे बड़ा कारण है। इसी क्रम में hypertension दूसरी सबसे बड़ी और क्रोनिक नेफराइटिस तीसरी वजह है।

Kidney से जुड़े कुछ तथ्य

1- kidney की बीमारी को सीधे डायलिसिस से जोड़ दिया जाता है। दरअसल डायलिसिस तब कराया जाता है, जब kidney damage तकरीबन 95% तक हो।

2- लोगो को लगता है कि बहुत सारा पानी पीना kidney damage के सारे मरीजों के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन ऐसा नही है। associated heart disease और liver की कुछ बीमारियों से पीड़ित मरीजो को सीमित मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है।

3- पिछले कुछ सालों में kidney की आनुवांशिक बीमारियाँ भी बढ़ी है। पॉलिसिस्टिक kidney disease और इंटरस्टीशियल disease ऐसी ही बीमारियाँ है।






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