Thursday, January 11, 2018

अनिश्चितता (Uncertainty) में Life को जीने का सलीका

Uncertainty


सुरक्षित दायरे से बाहर निकलना मुश्किल होता है। पर निश्चित को छोड़ने या छूट जाने का अर्थ यह नही कि हम अनिश्चितता की ओर जा रहे है। यह असीम ज्ञान और संभावनाओ की राह भी है, जिसे accept करना life जीने का सही सलीका है।

अपने medical career की शुरुआत में, मैं स्पष्ट रूप से यह जानता था कि क्या कर रहा हूँ। किस दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ। मुझे medicine से प्यार था। मेरा future संभावनाओ से भरा हुआ हुआ था। मुझे पता था कि जिस महिला से मैं प्यार करता हूँ, उससे शादी करके america चला जाऊंगा। तब तक यह सोचा ही नही था कि life की अनिश्चितता क्या होती है और किस तरह यह एक व्यक्ति के life पर असर डाल सकती है।

विशेष तौर पर मैं यह सोचता था कि सुरक्षा मेरी मित्र है और अनिश्चितता दुश्मन। काश, आज की तरह उस समय भी मैं यह जानता कि अनिश्चितता में ज्ञान होता है, जो अदृष्ट दरवाजों को खोलता है और यही अज्ञात तत्व life को निरंतर नयापन दे सकता है। अधिकतर सभी की तरह मैं भी अप्रत्याशित घटनाओं और बदलाओं से बेचैन हो जाता था। मैं इस बात के लिए कतई तैयार नही था कि मेरी fellowship रोक दी जाएगी। या मेरी इच्छित medical विशेषज्ञता को अस्वीकार कर दिया जायेगा। या फिर मुझे मेरे life के संबल पत्नी और बच्चे से अलग होना पड़ेगा। या मुझे एक भारतीय होने के कारण अलग नजर से देखा जायेगा। बहुत वर्षो के बाद जब तन और मन के सम्बन्ध को समझा, तब जाना कि मैं खुद को उन मूर्खतापूर्ण और तीखे हमलों से कैसे बचा सकता था।

यह समझा जा सकता है कि मैं उन बुरी स्थितियों से निकलना चाहता था और मैंने स्थिरता को चुना। हालाँकि आज समझ सकता हूँ कि यह कितना घातक हो सकता था। अनिश्चितता के ज्ञान का पहला principle है कि हर चीज व् घटना के पीछे एक मकसद होता है। हालाँकि अब यह एक मुहावरा सा बन गया है, पर भारतीय वैदिक परम्परा में इसका गहराई से analysis किया गया है।
imagine करे कि आपके हाथ में एक अदृश्य धागा है, जिसे आपको आजीवन पकड़े रखना है। यह धागा आपकी life line है, जो आपको वहा ले जायेगा, जहां आपको सम्पूर्ण संतुष्टि हासिल करने के लिए जाने की जरूरत है। वहां नही, जहां आपको मन, आपके डर, आपकी अपेक्षाएं और आपकी असुरक्षा लेना जाना चाहते है। भारत में इस धागे को धर्म कहते है, जिसका अर्थ है, धारण करना। दुसरे शब्दों में, यह अदृश्य धागा भले ही नाजुक प्रतीत हो, यह आपको सर्वश्रेष्ठ दिशा की ओर ले जाने में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। अदृश्य होने के कारण इसके रास्ते पर अप्रत्याशित व् आशातीत प्रतीत होते है, लेकिन जहां अनिश्चितता है, वहां ज्ञान भी छिपा होता है।

life जीने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि अनिश्चितताओं में छिपे ज्ञान को गले लगायें। पर यह बात तब नही पता थी जब मै 22 वर्ष का था। प्रश्न होगा कि यह कैसे किया जा सकता है? इसके लिए आप खुद को इन बातों से जोड़ें...

अपने दिल के जज्बात, life का सर्वोच्च purpose, व्यापक दृष्टिकोण की समझ, दूसरो के साथ समानुभूति, सेवा कार्यो की इच्छा, खुद को universal में अद्दितीय देख पाने की समझ, स्वयं को खुशहाल और संतुष्टि हासिल करने का अधिकारी मानना।

इन बातों से खुद को जोड़ना शुरू करें। ये गुण प्रत्येक में हैं। इन्हे अपनाकर आप अपने उन tension, दबाव, असुरक्षा और संदेहों से मुक्त हो सकते है, जो आपकों बढ़ने नही देते। यह उलझाव कितने ही तरीकों से हो सकता है। कभी-कभी यह जानते हुए भी कि कोई चीज आपके लिए ideal नही है या फिर आप क्या चाहते है, आप कम से समझौता करते है। उदासीन स्वीकृति देते है या उन राय व् मूल्यों को अपनाते है, जो आपके नही, दूसरो के बनाये हुए है। और कई बार यह बात बड़ी देर से समझ आती है कि हम पीड़ित है और स्थितियों की कठपुतली बनकर रह गये है।

यदि मैं 22 का होता, इसका अर्थ यह नही है कि life में ये problem खत्म हो जाएगी। युवावस्था में स्वतंत्र होने की प्रबल इच्छा होती है। असंतुष्टि की भावना आदर्शवाद के ईधन से पोषित हो रही होती है। लेकिन यदि आप जागरूक रहते हुए खुद को अपने स्वभाव की सर्वश्रेष्ठता से जोडकर रखते है, तो उस अदृश्य धागे को मजबूती से पकड़े रहते है। दुनियाभर की ज्ञान परम्पराओं ने यह माना है कि धर्म वास्तविक है और इस पर विश्वास किया जा सकता है। अनिश्चितताओं से भयभीत होने की जरूरत नही। यह एक मुकम्मल अनिवार्यता है, यदि आप सदियों से चली आ रही प्रक्रिया को जानना समझना चाहते है, जिसे हम ज्ञान की शरुआत कहते है।



# इस article के writer ‘दीपक चोपड़ा’ international famous भारतीय मूल के अमेरिकी writer, modern motivational गुरु व् फिजीशियन। इनकी 75 से अधिक books प्रकाशित हो चुकी है।





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