Monday, September 18, 2017

Knowledge भरा पहला मरहम

pain


किसी बीमारी या accident के बाद मरीज के लिए पहला घंटा बहुत important होता है। चिकित्सकीय भाषा में इसे ‘golden hour’ कहते है। इस समय पीड़ित को दिया गया सही उपचार स्थिति को काबू कर लेता है। आकड़ो की माने तो देश में 10.1% मौते सही प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण होती है। daily होने वाली कई छोटी-बड़ी बाते है, जिनमे शुरूआती उपचार में हुई गलती परेशानी बढ़ा देती है।

Internally चोट लगने पर

क्या न करे: कई बार अचानक ठोकर लगने, कोई भारी सामान गिरने या सीढियों से फिसल जाने के कारण घुटने या टखने की मांसपेशियों में भीतरी चोट लग जाती है, सुजन आ जाती है और दर्द रहता है। कई बार लोग उस हिस्से की गर्म चीज से सिकाई करना शुरू कर देते है। ऐसा न करे। इससे रक्त संचार तेज हो जाता है और सुजन बढ़ जाती है।

क्या करे: ऐसी स्थिति में उस हिस्से की बर्फ से सिकाई करे। बर्फ की सिकाई से सूजन भी कम होगी और दर्द में भी राहत मिलेगी।

शरीर दर्द

क्या न करे: अक्सर हम दर्द होने पर एस्प्रिन व् आईब्रुफेन ले लेते है। ये medicine वास्तविक मर्ज पर असर नही करती, बस दर्द के अहसास को कम कर देती है। हर स्थिति के लिए दर्द की दवा भी अलग होती है। खुद से दवा लेते रहना हालत को गंभीर बना सकता है। लम्बे समय तक बिना किसी doctor के सलाह के medicine लेना अन्य अंगो पर भी बुरा असर डालता है।

क्या करे: दर्द होने पर बाम से मालिश करे। ऐसा करते समय body से दर्द निवारक ऐंडोफ्रिन का स्राव होता है और दर्द में राहत मिलती है। आराम न मिलने पर doctor से संपर्क करे।

Heart Attack व् Stroke

क्या न करे: heart attack या स्ट्रोक आने की स्थिति में अक्सर लोग विशेष hospital में जाने की हडबडाहट में शुरूआती एक घंटा गवा देते है, खासकर heart attack व् स्ट्रोक में शुरुआती  उपचार न मिल पाना स्थिति को गंभीर बना देता है।

क्या करे: यदि आप किसी आपातकालीन स्थिति में फंस जाए तो स्वयं या किसी की मदद द्वारा सबसे पहले एमरजेंसी नंबर पर फोन करके एम्बुलेंस बुलवाए या हो सके तो स्वयं ही नजदीकी hospital पहुंच जाए। heart attack में मरीज के मुह में 300mg water सोल्युबल एस्प्रिन रख दे, यह blood को पतला करने का काम करती है। यदि एस्प्रिन नही है तो disprin भी रख सकते है। वैसे heart रोगियों को नाइटोग्लिसरीन की गोली हमेशा साथ रखनी चाहिए।
स्ट्रोक की स्थिति इससे अलग है। इसमे व्यक्ति का हाथ, पैर या मुंह थोडा मुड़ने लगता है। ऐसी स्थिति में एस्प्रिन या डिस्प्रिन नही देनी चाहिए। जितनी जल्दी हो सके, व्यक्ति को तुरंत doctor के पास ले जाए।

गलती से जहरीला पदार्थ खा लेना

क्या न करे:  यदि आपके परिवार के किसी सदस्य ने गलती से कोई जहरीला पदार्थ खा लिया है तो खुद doctor बनकर व्यक्ति को किसी तरह का syrup पीने के लिए न दे।

क्या करे: मरीज को बहुत सारा नमक वाला पानी पिलाकर उल्टी करवाने की कोशिश करे। फिर तुरंत doctor को बुला ले या उपचार सेण्टर पर संपर्क करे। जहर ज्यादा है तो स्थिति को नजरंदाज न करे, तुरंत hospital ले जाए।

पैनिक अटैक

क्या न करे: दुसरे को पैनिक में देखकर आप पैनिक में न आये। अपना अंदाजा लगाने से बेहतर है मरीज से ही पूछ ले कि वह क्या चाह रहा है।

क्या करे: सबसे पहले व्यक्ति को शांत जगह ले जाकर शांत करने की कोशिश करे। उसका ध्यान श्वास गति की तरफ क्रेंदित करवाए। फिर मरीज को कोई थका देने वाली activity जैसे हाथो को उपर उठाकर रखने या किसी काम में व्यस्त करने की कोशिश करे। श्वास गति control होने दे।

कटने या घाव होने पर

क्या न करे: अक्सर चोट लगने पर blood को रोकने के लिए उस हिस्से को दबा देते है या फिर कपड़े व् पट्टी से कसकर बांध देते है। ऐसा करने से चोट वाली जगह पर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

क्या करे: अगर चोट लगी है और बहुत खून बह रहा है तो सबसे पहले कटे हुए भाग को पानी के नल के नीचे ले जाए। ऐसा करने से blood तो रुकता ही है, साथ ही कीटाणु भी निकल जाते है। blood नही रूक रहा है तो पानी का बहाव को तेज कर दे, इससे blood का बहाव रूक जायेगा। अधिक बड़ा घाव होने पर उसे पानी से साफ करके ice pack लगाये, blood रूक जायेगा। इसके बाद ही antibiotic cream लगाकर पट्टी बांधे। ध्यान रहे, पट्टी बहुत कसी हुई नही, बल्कि हल्की बंधी होनी चाहिए। हवा लगने से जख्म जल्दी ठीक होता है।

जलने पर

क्या न करे: कई बार लोग आग की चपेट में आये व्यक्ति को कम्बल से ढककर आग बुझाने के बाद भी उसे उसे कपड़े से लपेटे रहते है। ऐसा करने से कपड़ा जले भाग से चिपक सकता है। जलने पर मक्खन या बर्फ न लगाए।

क्या करे: जले भाग पर पानी डाले। जले हुए हिस्से को 20-25 minute तक पानी के नीचे रखे। ऐसा करने से आग के कारण body में गई ऊष्मा के अन्दुरुनी कोशिकाओ को नुकसान पहुँचाने की आशंका कम हो जाती है और skin पर गहरा दाग भी नही पड़ता।

नकसीर फूटने पर

क्या न करे: गर्मियों में नाक से खून बहने लगता है। ऐसा तेज धूप लगने, उच्च रक्तचाप या नाक में किसी तरह का संक्रमण होने से होता है। इस स्थिति में लोग सिर पीछे की तरफ झुका कर बैठ जाते है। इससे blood आना बंद नही होता, साथ ही उसके गले के रास्ते सांस की नली में जाने की आशंका बढ़ जाती है, जो खतरनाक हो सकता है।

क्या करे: अपने सिर को सीधा रखे और अंगूठे व् ऊँगली से नाक के दोनों नथुनों को बंद कर ले।  ऐसा कम से कम 15 minute तक करे और मुंह से साँस ले। सिर पर ठंडा पानी डाले। यदि blood बंद नही हो रहा है तो तुरंत doctor से संपर्क करे।

सडक दुर्घटना

क्या न करे: accident की स्थिति में अक्सर लोग घबरा जाते है। खुद शांत रहे और पीड़ित को भी शांत रहने दे। स्थिति देखकर फैसला ले। समय ख़राब न करे।

क्या करे: accident में ज्यादातर मौते साँस में अवरोध आने की वजह से होती है, इसलिए सबसे पहले नाक और मुंह के आगे हाथ करके मरीज की साँस की गति को देखे। अगर साँस धीमे चल रहा है तो देख ले कि कही कुछ फंसा न हो। artificial breeding के जरिये oxygen भी दे सकते है। फिर उसके हाथ, पैर, सिर को हिलाकर के देखे। तुरंत ambulance बुलाये।

आँख में कचरा जाना या खुजली होना

क्या न करे: आँख में कचरा चले जाने पर खुजली करने की इच्छा होती है। ऐसी स्थिति में आँखों को रगड़ना नही चाहिए। इससे कचरा और अंदर जा सकता है। साथ ही इन्फेक्शन अधिक फ़ैल सकता है।

क्या करे: आँखों को तुरंत ठन्डे पानी से धोये। ऐसा करने से कचरा निकल जायेगा और इन्फेक्शन फैलेगा नही। उसके बाद भी अगर आँख में लाली व् दर्द देर तक बने हुए है तो नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करे।

दौरा पड़ना

क्या न करे: एक सामान्य अवधारणा है कि दौरा पड़ने पर मरीज के मुंह में चम्मच, कपड़ा पेन्सिल फंसा दे, ताकि वह अपनी जीभ न काट ले। कुछ लोग जूता भी सुंघाते है। ऐसा कुछ भी नही नही करना चाहिए। मरीज के मुंह में कपड़ा फंसाने से उसे साँस लेने में तकलीफ होगी, साथ ही जो वस्तु मुंह में रखी है, उसके गले में फंसने की आंशका भी बढ़ जाती है।

क्या करे: दौरा सीमित समय के लिए होता है। ऐसी हालत में सबसे पहले साथ वाले व्यक्ति को अपना धेर्य बनाये रखे। मरीज को पानी, आग, धारदार वस्तु, सीढी या अन्य कोई वस्तु जो नुकसान पंहुचा सकती है, उससे दूर रखकर खुली जगह पर लिटा देना चाहिए। मरीज के मुंह में कपड़ा नही फंसाना चाहिए। oxygen का प्रवाह ठीक होने से स्थिति जल्दी सामान्य हो जाती है। मरीज को करवट लेकर लिटाये। दौरा 3 minute से अधिक होने पर तुरंत doctor के पास ले जाए। अगर व्यक्ति की साँस चलती हुई महसूस नही हो रही है तो उस स्थिति में अपनी हथेली से व्यक्ति की छाती पर दवाब दे। हथेली के अंतिम भाग को छाती के बीच में रखे। फिर दुसरे हाथ को पहले हाथ पर रखकर एक minute में 100 से अधिक दवाब दे।

घर में जरुर रखे

1-  सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, हाथ-पैर व् कमर दर्द के लिए बाम। चोट पर लगाने के लिए एंटीसेप्टिक tube.

2-  पट्टी, ऐदहेसिव बैंडेज, छोटी कैची और स्टिकिग प्लास्टर।

3-  खून बहने से रोकने के लिए solution.

4-  skin के लिए एंटी फंगल cream, ऐलोबिरा जेल, जले पर लगाए जाने वाली दवा।

5-  दर्द निवारक दवाये। ये दवाये doctor की सलाह से ही किट में रखे और एमरजेंसी में ही ले।

6-  disposable ग्लब्स, pocket mask, antiseptic वाइप्स, thermometer व् हाथ धोने का साबुन।

7-  बाहर का खाना व् अधिक चिकनाईयुक्त खाने से अक्सर पेट दर्द, मरोह, कब्ज, गैस, बदहजमी जैसी तकलीफे होती है। इनके लिए हाजमा करने वाली medicine व् चूर्ण रखे।

8-  डायरिया व् डिहाइड्रेशन से राहत पाने के लिए electoral का packet






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